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खबर हरिद्वार से हैं जहाँ आपको बताते चले की जिन लोगों के पास कोइ भी काम नहीं हर पल घर में फ्री रहते हैं,, कुछ लोग हरिद्वार के दूसरे इलाकों से आए हैं कुछ नवोदय नगर में ही तमाम तरह की झूठ फरेबी चालाकियों से अपने अस्तिव को कायम रखना चाहते हैं वे लोग पूरा समय इसी बात पर खर्च करते हैं कि कौन क्या कर रहा है,, क्यो कर रहा है,, हमसे आगे तो नहीं जा रहा है,, और जा रहा है तो क्यों,, भले ही वे अपने चरित्र से गिरे हुए क्यों ना हों लेकिन उनका काम केवल काना फूसी रहता है,,
वे कुछ भी ना होकर भी अपने आप को तमाम समितियों से संबद्ध रखते हैं,, भले ही कोइ अवैध कब्जा कर रहा हो लेकिन वे सदैव मन्दिर आदि के मामलो में आगे रहते हैं, ऐसे लोगों की संपूर्ण जन्म पत्री एक समाज सेवी संस्था खगाल रही है शीघ्र ही सामने आएगी,,
पढ़िए क्या लिखते हैं गो स्वामी तुलसी दास जी महराज,,
खलन्ह हृदयँ अति ताप बिसेषी। जरहिं सदा पर संपति देखी॥
जहँ कहुँ निंदा सुनहिं पराई। हरषहिं मनहुँ परी निधि पाई॥
भावार्थ:- दुष्टों के हृदय में बहुत अधिक संताप रहता है। वे दूसरों की संपत्ति (सुख) देखकर सदा जलते रहते हैं। वे जहाँ कहीं दूसरे की निंदा सुनते हैं, वहाँ ऐसे प्रसन्न होते हैं जैसे कोई रास्ते में पड़े खजाने को पाकर खुश होता है।