राजस्व का नहीं बल्कि खुद का पूरा खयाल रखता है खनन विभाग ,, क्यों? हरिद्वार!
(स्टेट नदी में अवैध खनन में लिप्त पाए गए ट्रैक्टरो पर की गई कार्यवाही सार्वजनिक क्यों नहीं )
( विभागीय कार्यवही में अपार दर्शिता क्यों ? )
विगत दिनों पूर्व स्टेट नदी में लगातार हो रहे खनन को लेकर तमाम पोर्टल और चैनलो में प्रसारित खबरों के कारण मजबूरी में खनन आधिकारी को जांच करना पड़ी जिसमे कि पांच ट्रेक्टर ट्राली मौके पर मिले जिन्हे थाने में लाकर खड़ा कर दिया गया था कोई भी कार्यवाही तुरंत अमल में नहीं लाई गई थी, जो संदेह का कारण बन गई ,, यह सब इसलिए किया गया था क्यों कि वाहन स्वामी आकर सम्पर्क कर सके,, ताकि मामले को निपटाया जा सके,, और हुआ भी ऐसा ही,,खनन अधिकारी से दूरभाष पर एक पत्रकार द्वारा पूछे जाने पर कि मुकदमा दर्ज किया गया या नहीं तो वो बेफिक्र होकर बोल रहे हैं कि देखता हूं साथ ही बातचीत में पैमाइस के मामले में खनन आधिकारी प्रदीप कुमार (सहायक भू वैज्ञानिक) टाल मटोल करते देखे गए जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल था,,रोशनाबाद में यह मामला खनन माफियाओं के बीच भी काफी चर्चा का विषय बना हुआ था ,,लोगों में चर्चा थी कि खनन विभाग से बातचीत चल रही है और आज बिना किसी जुर्माने के ट्रैक्टर ट्राली बिना मुकदमे के छूट जायेंगे!
सच तो यह है कि खनन के कारोबार को अपना पेशा बना चूके लोग सेटिंग कर रात दिन खनन को अंजाम देकर करोड़ो रुपए प्रति माह राजस्व को चूना लगा रहे हैं जो कि सिस्टम की कार्यशैली के लिए बेहद सोचनीय पहलू है ,, और हरिद्वार में लगातार किए जा अवैध खनन के पीछे वास्तव में किसका हाथ है यह भी अब छुपा नहीं रहा! तमाम इसी प्रकार के उदाहरण हैं जिनके चलते एक बार हरिद्वार आने के बाद जिम्मेदार संबधित अधिकारी कर्मचारी इस धरम नगरी को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते! इतना ही नहीं बल्कि यदि किसी भी पत्रकार द्वारा खनन सम्बन्धी जानकारी यदि उपरोक्त विभाग के अधिकारी से मांगी जाती है तो बिना आई टी आर के संभव नहीं हो सकता क्यों कि बेहद गोपनीयता पूर्ण मामले होते हैं!